कुंडली में संतान योग कैसे बनता है?

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5 min read2 days ago

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संतान सुख जीवन का सबसे बड़ा सुख है। हमारे जीवन में संतान सुख बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। जीवन के इस हिस्से का संबंध केवल हमारी खुशियों से नहीं, बल्कि हमारे जीवन की एक स्थिरता और उद्देश्य से भी जुड़ा होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी जन्म कुंडली में संतान सुख के योग कैसे बनते हैं? क्या किसी व्यक्ति की कुंडली में संतान सुख या संतान के स्वास्थ्य के लिए कोई विशेष योग होते हैं? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, संतान सुख और संतान स्वास्थ्य से संबंधित कई ग्रहों और उनके गोचर एवं योगों का प्रभाव हमारी कुंडली में होता है। इस लेख में हम समझेंगे कि कुंडली में संतान योग कैसे बनता है, संतान सुख के लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार होते हैं, और कुंडली में संतान स्वास्थ्य के उपाय क्या हो सकते हैं।

जानिए कौन से ग्रह हैं संतान सुख के लिए जिम्मेदार

संतान सुख और संतान का स्वास्थ्य ज्योतिष में कुछ विशेष ग्रहों पर निर्भर करता है। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में संतान सुख के योग बनने या नहीं बनने में अहम भूमिका निभाते हैं। कुंडली का पंचम भाव संतान भाव कहलाता है। पंचम भाव में ग्रहों कि स्थिति संतान प्राप्ति और उनके भविष्य में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इन ग्रहों के अच्छे या बुरे प्रभाव के कारण ही संतान प्राप्ति में सफलता या विफलता हो सकती है।

1. सूर्य
सूर्य को पिता का कारक ग्रह माना जाता है, और यह संतान के जन्म से संबंधित भी माना जाता है। यदि सूर्य की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है, तो संतान सुख के योग बनते हैं। इसके अलावा, सूर्य के अच्छे प्रभाव से संतान का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। सूर्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए संतान प्राप्ति के योग बनने की संभावना अधिक होती है।

2. चंद्रमा
चंद्रमा संतान के भावनात्मक स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति का प्रतीक है। यदि चंद्रमा मजबूत है, तो संतान के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। चंद्रमा के द्वारा बनाए गए योग संतान के लिए सुखमय और आरामदायक जीवन सुनिश्चित कर सकते हैं।

3. बृहस्पति

बृहस्पति को संतान का शुभ ग्रह माना जाता है। यदि बृहस्पति की स्थिति अच्छी है, तो यह संतान सुख में वृद्धि करता है। बृहस्पति संतान के जन्म की संभावनाओं को मजबूत करने में मदद करता है, और यह संतान के लिए अच्छे स्वास्थ्य का संकेत भी होता है। इसके विपरीत, बृहस्पति का अशुभ प्रभाव संतान के जन्म में देरी या समस्याएं पैदा कर सकता है।

4. शुक्र

शुक्र को संतान सुख के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। यदि कुंडली/kundali में शुक्र मजबूत है, तो संतान का स्वास्थ्य अच्छा होता है और संतान से जुड़ी हर समस्या का समाधान हो सकता है। शुक्र के अच्छे प्रभाव से संतान के साथ संबंध अच्छे रहते हैं, और संतान की खुशी और समृद्धि बढ़ती है।

5. राहु और केतु

राहु और केतु को असाधारण ग्रह माना जाता है, और इनका प्रभाव संतान के जीवन पर बहुत गहरा हो सकता है। यदि इन ग्रहों का प्रभाव कुंडली में ठीक से संतुलित न हो, तो संतान की सुख–शांति में बाधाएं आ सकती हैं। कभी–कभी ये ग्रह संतान से जुड़ी समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं। इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए उपाय किए जा सकते हैं।

कुंडली में संतान स्वास्थ्य के उपाय

संतान सुख के लिए उचित ग्रहों के प्रभाव का होना बहुत आवश्यक है, लेकिन साथ ही साथ संतान के स्वास्थ्य को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। ज्योतिष शास्त्र में संतान के स्वास्थ्य को लेकर कुछ खास उपाय बताए गए हैं, जो संतान के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में मदद करते हैं। स्वास्थ्य के लिए उपाय चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के लिए ज्योतिष परामर्श सकते हैं।

1. बृहस्पति की पूजा

यदि बृहस्पति की स्थिति खराब हो, तो संतान सुख प्राप्ति में देरी हो सकती है और संतान के स्वास्थ्य में भी समस्याएं आ सकती हैं। ऐसे में बृहस्पति की पूजा करना और ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ माना जाता है। यह उपाय संतान के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।

2. चंद्रमा की उपासना

चंद्रमा का प्रभाव संतान के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत अधिक होता है। यदि चंद्रमा की स्थिति कमजोर हो, तो मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। चंद्रमा की पूजा, विशेष रूप से सोमवार के दिन, संतान के मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत कर सकती है। इसके अलावा, चंद्रमा के मंत्र “ॐ श्री चन्द्रमसे नमः” का जाप करने से भी लाभ होता है।

3. विनायक चतुर्थी और अन्य उपाय

विनायक चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करना संतान सुख के लिए शुभ माना जाता है। गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है, और उनके आशीर्वाद से संतान सुख और स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके अतिरिक्त, नारियल को पानी में बहाने से भी संतान के स्वास्थ्य में लाभ होता है।

4. शुक्र ग्रह की पूजा

शुक्र ग्रह को संतान के सुख और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि शुक्र की स्थिति कमजोर हो, तो संतान के स्वास्थ्य में समस्याएं आ सकती हैं। शुक्र ग्रह की पूजा और उपासना से संतान के स्वास्थ्य में सुधार आ सकता है। शुक्र के मंत्र “ॐ शु्क्राय नमः” का जाप करना भी फायदेमंद होता है।

5. राहु–केतु की स्थिति को सुधारना

यदि राहु–केतु के योग कुंडली में संतान/Child Yog in kundali के लिए अशुभ हैं, तो इन ग्रहों को शांत करने के उपायों की आवश्यकता होती है। राहु और केतु के उपायों के लिए विशेष व्रत, पूजा और रत्नों का उपयोग किया जा सकता है।

निष्कर्ष

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, संतान योग और संतान के स्वास्थ्य का संबंध कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव से होता है। यदि कुंडली में संतान सुख के योग अच्छे होते हैं, तो संतान का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। लेकिन अगर कुंडली में ग्रहों का अशुभ प्रभाव है, तो उपायों के माध्यम से इन्हें सुधारने की आवश्यकता होती है। कुंडली के माध्यम से बच्चे के जन्म या बच्चों के लिए ज्योतिषीय उपायों को अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

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Written by Delaymarriage

From Dr. Vinay Bajrangi “Astrological services for business issues, health prediction, career selection, property astrology, married life issues, IVF Baby, etc.

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